बाबू कुंवर सिंह  बहुत बड़े समाज सुधारक थे - अमित शाह

Ankalan 23/4/2022

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री  अमित शाह  बिहार के जगदीशपुर में बाबू वीर कुंवर सिंह विजय उत्सव  में कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने आज़ादी के 75वें साल में आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि इतिहास ने बाबू कुंवर सिंह के साथ अन्याय किया और उनकी वीरता, योग्यता, बलिदान के अनुरूप उन्हें इतिहास में स्थान नहीं दिया गया। लेकिन बिहार की जनता ने बाबू जी को श्रद्धांजलि देकर वीर कुंवर सिंह का नाम एक बार फिर इतिहास में अमर करने का काम किया है। लाखों लोग चिलचिलाती धूप में तिरंगा लेकर बाबू कुंवर सिंह को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। 163 वर्ष पहले 80 साल की उम्र के कुंवर सिंह जी ने इस क्षेत्र को अग्रेज़ों से आज़ाद कराया था।अमित शाह ने कहा कि ये क्षेत्र विश्वामित्र की जन्मभूमि माना जाता है,श्री राम ने यहीं ताड़का वध किया था, यहीं से उन्हें मिथिला जाने की प्रेरणा मिली, यही वशिष्ठ नारायण सिंह जी की जन्मभूमि है, यही शिवपूजन सहाय, महान कवि शैलेन्द्र, बिंदेश्वरी दुबे और सहकारिता के पुरोधा तपेश्वर सिंह की भूमि रही है। उन्होंने कहा कि बिहार, जयप्रकाश नारायण, बाबू जगजीवन राम, कर्पूरी ठाकुर, राजेन्द्र बाबू, भगवान बुद्ध और भगवान महावीर की भूमि रहा है।
,  केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जब हम आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने हमारे सामने कुछ लक्ष्य रखे हैं। हमारी आज़ादी के लिए जिन्होंने सर्वस्व बलिदान किया उसे युवा पीढ़ी की स्मृति में पुनर्जीवित करके श्रद्धांजलि देना। आज़ादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में देश ने जो कुछ भी प्राप्त किया है इसे चिरस्थायी बनाने का प्रयत्न करना और ये संकल्प लेना कि जब आज़ादी की शताब्दी हो तब हमारा ये महान भारत दुनिया में एक बहुत बड़ी ताक़त बनकर सर्वोच्च स्थान पर बैठा हो। मोदी जी ने कल्पना की है कि 2047 में पूरी दुनिया में हर क्षेत्र में भारत शीर्ष पर होना चाहिए और वीर कुंवर सिंह जी को यही सच्ची श्रद्धांजलि हो सकती है।
,  अमित शाह ने कहा कि 1857 में हुए आज़ादी के पहले संग्राम को इतिहासकारों ने हमेशा एक विफल विद्रोह कहकर बदनाम करने का प्रयास किया। वीर सावरकर ने पहली बार उसे आज़ादी का पहला स्वतंत्रता संग्राम कहकर सम्मानित करने का काम किया। नाना साहब पेशवा, अज़ीमुल्ला ख़ान, बेग़म ज़ीनत महल, रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, वीर कुंवर सिंह जैसे ना जाने कितने लाखों लोगों ने अपनी जान न्योछावर करके अंग्रेज़ों के पैरों के नीचे की ज़मीन हिलाने का काम किया। वीर कुंवर सिंह जी एक अकेले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने 80 साल के होने के बावजूद आरा और सासाराम से लेकर अयोध्या तक और वहां से बलिया होते हुए फिर से आरा तक विजयी पताका फहराई। उनके हाथ में गोली लगने से गैंगरीन होने का डर था और इसीलिए उन्होंने ख़ुद अपना हाथ काटकर गंगा में समर्पित करने का साहस कुंवर सिंह जी के सिवा किसी में नहीं हो सकता। उन्होंने जब यहां आकर आजादी का झंडा फहराया उसके 3 दिन बाद वे शहीद हुए।
,  केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि वीर कुंवर सिंह जी ने 1857 और 1858 में बांदा, रीवा, आज़मगढ़, बनारस, बलिया, गाजीपुर, सासाराम, गोरखपुर और अयोध्या तक आजादी की अलख जगाने का काम किया था। जब वे यहां अंतिम लड़ाई लड़े, तब गंगा नदी को पार करते हुए हाथ में गोली लगी तो अपना ही हाथ काट कर यहां स्वतंत्र भारत का झंडा फहरा कर उस वीर सपूत ने अंतिम सांस ली। कुंवर सिंह बाबू बहुत बड़े समाज सुधारक भी थे और उन्होंने पिछड़े और दलितों का कल्याण करने का एक विचार उस जमाने में देश के सामने रखा था। नरेन्द्र मोदी जी भी पिछड़े, दलित और आदिवासियों के कल्याण के लिए कई योजनाएं लेकर आए हैं। शाह ने कहा कि हम कल्पना ही नहीं कर सकते अगर नरेन्द्र मोदी जी 130 करोड़ के देश का मुफ्त टीकाकरण न करते तो न जाने कितने लोगों की मौत होती। धनी व्यक्ति तो पैसा खर्च करके टीका ले लेता मगर पिछड़े समाज के भाई बहन, दलित भाई बहन, आदिवासी भाई बहन यह टीका नहीं लगवा सकते थे। मोदी जी ने योजना बनाकर 130 करोड़ की आबादी को दोनों टीके मुफ्त लगाकर सुरक्षा का सुदर्शन चक्र देने का काम किया है। इसके साथ-साथ 80 करोड़ गरीबों को प्रति व्यक्ति 5 किलो अनाज प्रति माह 2 साल तक देने का काम किया। ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा देने का काम किया और बिहार के ही मछुआरा समाज के भगवान लाल साहनी को उसका पहला अध्यक्ष बनाने का गौरव नरेंद्र मोदी ने दिया। प्रधानमंत्री  ने हर गरीब को आवास, गैस का सिलेंडर, शौचालय, बिजली और पाँच लाख तक का आरोग्य बीमा देकर गरीबों को पहली बार देश की विकास प्रक्रिया में हिस्सेदार बनाने का काम किया है।
,  केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जब मैं बच्चा था तो इतिहास के शिक्षक ने बाबू कुंवर सिंह जी के हौसले और वीरता के बारे में बताया था, उस समय मेरे रोंगटे खड़े हो जाते थे और आज जब यहाँ लाखों लोग तिरंगा लेकर बाबू कुंवर सिंह जी को श्रद्धांजलि देने आए हैं तो आज भी मेरे रोंगटे खड़े हो गए हैं,  एक व्यक्ति कैसा था कि शहीद होने के 163 साल बाद भी लाखों लोग इस चिलचिलाती धूप में उन्हें श्रद्धांजलि देने यहाँ आए हैं। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इस अवसर पर मैं सुभद्रा कुमारी चौहान की एक कविता की ये पंक्तियाँ अवश्य सुनाना चाहूँगा- ‘स्वतंत्रता माया युद्ध में कई वीरवर आए काम, नाना धंडूपत, तांत्या, चतुर अजीमुल्ला सरनाम, अहमद शाह, ठाकुर कुंवर सिंह और सैनिक अभिराम,भारत के इतिहास गगन में अमर रहेंगे इनके नाम’। अमित शाह ने कहा कि इतिहास ने बाबू कुंवर सिंह जी के साथ जो भी अन्याय किया हो लेकिन करीब पौने दो सौ साल बाद आज भी जनता में उनके लिए जो भाव है उसे देखकर मैं कह सकता हूँ कि जब तक भारत का नाम रहेगा,बाबू कुंवर सिंह जी का नाम हमेशा हमेशा के लिए अमर रहेगा। इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री आर के सिंह,  नित्यानंद राय,  अश्विनी कुमार चौबे और राधामोहन सिंह सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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