बस यही है ज़िंदगी

Ankalan 14/9/2022

एक बार ज़िंदगी से मेरी मुलाक़ात हो गई ।वो मुझसे कहने लगी कि कैसी लग रही हूँ मैं? उसके इस सवाल पर मेरी क़लम ने ये निम्नलिखित जबाब दिया ।
,  
,   बस यही है ज़िंदगी
,  
,  थोड़ी सी पाबंदी,
,  थोड़ी सी उम्मीद
,  थोड़ी सी आस ,
,  थोड़ा सा विश्वास
,   बस यही है ज़िंदगी ।
,  कुछ रिश्तों की कटुता
,  कुछ रिश्तों की भरपाई,
,  कुछ रिश्तों में उलझन
,  कुछ रिश्तों में गरमाई
,   बस यही है ज़िंदगी ।
,  कहीं कड़वी यादों का बंडल
,  कहीं मिठास के कुछ पल,
,  कहीं क्रंदन करता मन
,  तो कहीं हँसी कल -कल ,
,   बस यही है ज़िंदगी ।
,  कभी दिलों को चीरता हुआ सन्नाटा
,  कभी दिलों को जोड़ती हुई महफ़िल,
,  कहीं रात का सघन अंधकार
,  कहीं सुबह की रोशनी झिलमिल ।
,   बस यही है ज़िंदगी ।
,  कभी आँखों से नींद चुराते ख़्वाब
,  कभी आँखों से नींद चुराती मजबूरियाँ,
,  कभी उन आँखों की शर्म
,  तो कभी इन्हीं आँखों का भ्रम ।
,   बस यही है ज़िंदगी ।
,  थोड़ी सी उलझनों से भरीं राह
,  थोड़ी सी दुर्वा सी नर्म बाँह,
,  थोड़ा सा शोर इस तरफ़
,  थोड़ी सी खामोशी उस तरफ़ ।
,   बस यही है ज़िंदगी ।
,  कभी कृपा की बारिश
,  तो कभी कृपा के छींटे,
,  हमेशा “रितु “ की कातर प्रार्थना
,  तो करुणानिधि की करुणा
,   बस यही है ज़िंदगी ।
,  
,  रितु शर्मा
,  शिक्षा- M.sc Botany (Cytogenetics) . B. Ed
,  रुचि- अध्ययन, अध्यापन
,  आकाशवाणी में भी मेरी रचनाओं का प्रसारण

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