एसबीएम - गोबर धन बायोगैस सम्मेलन
नई दिल्ली के भारत मंडपम में कंप्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) क्षेत्र को बढ़ावा देने के साथ वेस्ट टु वेल्थ और सर्कुलर इकोनॉमी में तेजी लाने के लिए आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) ने जीआईजेड, सर्कुलर वेस्ट सॉल्यूशंस और यूनिडो के साथ साझेदारी में ‘SBM-GOBARdhan बायोगैस सम्मेलन’ का आयोजन किया। दिन के पहले सत्र में प्रतिभागियों ने अपशिष्ट से सीबीजी परियोजनाओं के लिए परिवर्तनकारी नीतियों पर चर्चा की, जिसमें ऑफ-टेक अरेंजमेंट के लिए नीतियां- SATAT के तहत CBG ऑफ-टेक, सीबीजी प्लांट्स के वित्तपोषण के लिए नीतियां, जर्मनी में सीबीजी को बढ़ाने के लिए नीतियां, सीबीजी परियोजनाओं में निवेश की सुविधा, सीबीजी वैश्विक पहल के अनुभवों को बढ़ावा देने के लिए नीतियां जैसे विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई। इस सत्र में केंद्रीय मंत्रालयों MoPNG, MNRE, OGMCs के अधिकारियों, डेवलपमेंट पार्टनर्स, बायोगैस एसोसिएशंस से 400 से ज्यादा प्रतिनिधियों की भागीदारी देखी गई।
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,  भारत के अपशिष्ट से ऊर्जा परिवर्तन क्षेत्र में बायोगैस का उपयोग ऊर्जा सुरक्षा और सामर्थ्य सुनिश्चित करने, उद्यमिता को बढ़ावा देने, रोजगार के अवसर पैदा करने और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को प्रोत्साहित करने की खास क्षमता रखता है। इसके अतिरिक्त, यह सर्कुलर इकोनॉमी मॉडल के कार्यान्वयन के माध्यम से भारत में अपशिष्ट प्रबंधन संबंधी चुनौती को प्रभावी ढंग से सामने लाता है। एसबीएम-यू 2.0 का प्राथमिक उद्देश्य स्थायी स्वच्छता प्रयासों, कुशल अपशिष्ट प्रबंधन और एक सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देकर कचरा मुक्त शहरी भारत बनाना है। लक्ष्य साल 2026 तक 15,000 टीपीडी बायो-सीबीजी प्लांट्स स्थापित करने का है। MoHUA ने राज्यों/शहरी स्थानीय निकायों (ULB) को कंप्रेस्ड बायो गैस (CBG) प्लांट स्थापित करने में तेल और गैस मार्केटिंग कंपनियों (OGMCs) की सहायता करने का अतिरिक्त निर्देश दिया है। इस सहायता में लंबे समय तक छूट वाले समझौते और भूमि पट्टे की पेशकश, अलग किए गए नगरपालिका के जैविक कचरे की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करना है।
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,  आवासन और शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सरकारी शुल्क और सरकारी समर्थन द्वारा वित्त पोषित आंशिक क्रेडिट गारंटी प्रदान करने के लिए अपशिष्ट प्रसंस्करण परियोजनाओं और हुडको में रखे गए फंड पर केंद्रित विशेष सहायक कंपनी पर दो प्रमुख घोषणाएं करते हुए कहा, “मुझे लगता है कि ये दो कदम होंगे, जो बहुत लंबा रास्ता तय करेंगे।” पहला- इंजीनियरिंग सलाह, जो इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड से आएगी, भारत और बाहर कई परियोजनाओं को क्रियान्वित कर रही है। दूसरा- हुडको की ओर से विशेष रूप से केंद्रित तरीके से, जिसे हम एसबीएम-यू 2.0 के तहत वित्तपोषित भी करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन चुनौतियों का समाधान किया जा सके।''
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,  आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव मनोज जोशी ने सीबीजी संयंत्रों पर प्रकाश डालते हुए कहा की, “सीबीजी संयंत्रों के तेजी से कार्यान्वयन की आवश्यकता है। हमें इस बात पर चर्चा करने की ज़रूरत है कि एक निश्चित संयंत्र के मूल्य में कमी के जोखिम को कैसे कम किया जाए, हमें वित्त के लिए इस जोखिम में कमी और वृद्धि के हिस्से को ठीक करने की ज़रूरत है और शहरों को पूर्ण सहायता कैसे प्रदान की जाए। सीबीजी प्लांट्स की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव मनोज जोशी ने कहा, “सीबीजी प्लांट्स के तेजी से कार्यान्वयन की आवश्यकता है। हमें इस बात पर चर्चा करने की जरूरत है कि एक निश्चित प्लांट के मूल्य में कमी के जोखिम को कैसे कम किया जाए, हमें वित्त के लिए इस जोखिम में कमी और वृद्धि के हिस्से को ठीक करने की आवश्यकता है और शहरों को पूर्ण सहायता कैसे प्रदान की जाए, इस पर विचार की जरूरत है।"
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,  सम्मेलन का संदर्भ निर्धारित करते हुए मंत्रालय की संयुक्त सचिव और स्वच्छ भारत मिशन-शहरी की राष्ट्रीय मिशन निदेशक रूपा मिश्रा ने कहा, “एसबीएम के प्रथम चरण की सफलता में जिन चार पहलुओं पर ध्यान दिया गया, वे चार Ps हैं- पॉलिटिकल लीडरशिप और पॉलिसी, पब्लिक फाइनेंस, पार्टनरशिप और पीपल पार्टिसिपेशन। इन पहलुओं को आगे बढ़ाते हुए हम वेस्ट टु वेल्थ, वेस्ट टु एनर्जी, चाहे वह गैस संबंधी बिजली हो, इसकी ओर एक यात्रा पर निकल पड़े हैं।
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,  भारत में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट समन्वयक शोम्बी शार्प ने अपने संबोधन में कहा, “शहरों में एनर्जी वेस्ट के मुद्दों को रणनीतिक रूप से सामने लाकर जलवायु परिवर्तन को कम करने की एक अद्वितीय क्षमता है। 50% कचरे की बायो-मीथेनेशन के माध्यम से प्रोसेसिंग की जाती है, इसलिए कचरे की रीसाइक्लिंग को मूल्यवान मानने का मौलिक बदलाव सर्कुलर इकोनॉमी के केंद्र में है।" जीआईजेड-इंडिया की कंट्री डायरेक्टर डॉ. जूली रेवियर, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय सचिव पंकज जैन आदि ने दिनभर चले सम्मेलन में सीबीजी क्षेत्र पर भी अपने विचार व्यक्त किए। सम्मेलन में जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग की सचिव विनी महाजन ने कहा, "पूरी सरकार और पूरे समाज द्वारा किए गए भारी प्रयास, हर शहर और गांव ने बहुत ही कम समय में खुद को ओडीएफ घोषित दिया। अब हम ओडीएफ से आगे बढ़कर समग्र अपशिष्ट प्रबंधन में आगे बढ़े हैं, ठोस और गीला कचरा प्रबंधन भी सकारात्मक रूप से आज भारत के लिए काम करेगा।''
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,  इस अवसर पर प्रधानमंत्री के सलाहकार तरूण कपूर ने अपशिष्ट प्रबंधन के कठिन काम पर जोर देते हुए बताया कि कैसे यूएलबी, निजी संस्थान, बैंक अपने स्तर पर शहरी कचरे को संभालने के लिए सहयोग करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि इसकी प्रोसेसिंग की जाए।
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,  केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सम्मेलन में प्रतिभागियों के साथ एक इंटरैक्टिव सेशन किया। विभिन्न सत्रों में सीबीजी प्लांट संचालन में शामिल चुनौतियों, वित्तपोषण के अवसर और सतत व्यापार मॉडल और नवाचारों और निर्णायक प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने जैसे कई विषयों पर जीआईजेड, विश्व बैंक, एडीबी, एसबीआई कैपिटल, सिडबी, ईआईएल, वर्ल्ड बायोगैस एसोसिएशन, एवर एनवायरो, इंडियन ऑयल अदानी वेंचर्स लिमिटेड, वर्बियो इंडिया और अन्य जैसे विभिन्न क्षेत्र, विकास और निजी भागीदारों के बीच गहन चर्चा और ज्ञान साझा किया गया। सम्मेलन में अपशिष्ट के क्षेत्र से जुड़े उद्यमियों के लिए रिस्क शेयरिंग फेसिलिटी (RSF) के परिचय पर आधारित वीडियो भी दिखाया गया।
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,  इस सम्मेलन में 25 राज्यों, 150 शहरों और 150 उद्योग विशेषज्ञों में से 400 से अधिक प्रतिभागी संवहनीयता में उत्कृष्ट रहे हैं। यहां पेनलिस्टों में केंद्रीय मंत्रालयों के अधिकारी, ओजीएमसी के सदस्य, विकास और क्षेत्रीय साझेदार, बायोगैस संघ के अधिकारी शामिल हुए।
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