महोत्सव एक स्‍थान पर पारंपरिक कला, शिल्प और संस्कृतियों के मिश्रण से पूर्वोत्‍तर भारत की समृद्ध विविधता को प्रदर्शित करेगा : चंचल कुमार, सचिव डोनर

Ankalan 4/1/2024

उत्तर पूर्वी महोत्सव 2024" 13 से 17 जनवरी 2024 तक दिल्ली में आयोजित
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,  महोत्सव क्रेता-विक्रेताओं की महत्वपूर्ण बैठकों के लिए एक अनुकूल मंच प्रदान करेगा : चंचल कुमार, सचिव डोनरमहोत्सव पारंपरिक नृत्यों, मंत्रमुग्‍ध करने वाले अभिनयों और क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रदर्शन से एक मोहक यात्रा का विश्‍वास दिलाता है - चंचल कुमार, सचिव डोनर
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,  उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय अपने सीपीएसई, पूर्वोत्‍तर हस्तशिल्प और हथकरघा विकास निगम लिमिटेड (एनईएचएचडीसी) के माध्यम से "उत्तर पूर्वी महोत्सव 2024" का आयोजन कर रहा है – पूर्वोत्‍तर भारत की समृद्धि को दर्शाने वाला, पांच दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव 13 से 17 जनवरी, 2024 तक नई दिल्ली स्थित प्रगति मैदान के भारत मंडपम में आयोजित किया जाएगा।
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,  उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय के सचिव चंचल कुमार ने आज मीडिया को उत्तर पूर्वी महोत्सव के पहले संस्करण के बारे में जानकारी दी। कुमार ने बताया कि इस महोत्सव को एक स्‍थान पर पूर्वोत्तर भारत की पारंपरिक कला, शिल्प और संस्कृतियों के मिश्रण वाली समृद्ध विविधता को प्रदर्शित करने के लिए सावधानीपूर्वक तैयार किया गया है। एक सांस्कृतिक पच्‍चीकारी (मोज़ेक) के रूप में कल्पना किया गया, उत्तर पूर्वी महोत्सव एक उत्सव से कहीं अधिक है।
,  मीडिया को संबोधित करते हुए श्री कुमार ने बताया कि यह महोत्सव आर्थिक अवसरों का मंच है. इस महोत्सव का उद्देश्य पारंपरिक हस्तशिल्प, हथकरघा, कृषि उत्पादों और पर्यटन की पेशकशों में आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है, जो क्षेत्र की वृद्धि और विकास के लिए उत्प्रेरक बन सकता है।डोनर मंत्रालय के सचिव ने बताया कि 250 बुनकर, किसान और उद्यमी महोत्सव में भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि महोत्सव के दौरान पैनल चर्चा और क्रेता-विक्रेता बैठकें आयोजित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि पारंपरिक नृत्य, मंत्रमुग्‍ध करने वाले अभिनय और क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन महोत्सव का मुख्य आकर्षण होगा। इस मौके पर एक वीडियो फिल्म भी जारी की गई।इस महोत्सव की मुख्य विशेषताओं में सम्मिलित हैं-
,  (i) हस्तशिल्प, हथकरघा और कृषि-बागवानी उत्पाद: महोत्सव में 250 बुनकरों, किसानों और उद्यमियों की हिस्सेदारी पर प्रकाश डाला जाएगा। यह महोत्सव उन अनूठे पहलुओं को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच के रूप में भी काम करेगा जो पूर्वोत्तर क्षेत्र को एक सांस्कृतिक विशिष्टता बनाते हैं। महोत्सव का उद्देश्य पूर्वोत्तर भारत के सर्वश्रेष्ठ और उत्कृष्ट हस्तनिर्मित उत्पादों, हथकरघा और वस्त्र, टिकाऊ हस्तशिल्प, विभिन्न जीआई उत्पाद - स्वदेशी फलों और पूर्वोत्तर भारत के जैविक उत्पादों को एक ही स्थान पर प्रस्तुत करना है।(ii) पैनल चर्चाएँ: "समृद्धि की ओर: विकसित भारत की ओर पूर्वोत्तर की प्रगति को प्रोत्साहित करना" विषय पर आकर्षक पैनल चर्चा का उद्देश्य देश को जीवंतता और प्रगति की ओर ले जाने में क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करना है। समृद्धि पर केंद्रित, चर्चा का लक्ष्य पूर्वोत्तर की अप्रयुक्त क्षमता को उजागर करना, इसे जीवंत और प्रगतिशील भारत के लिए एक प्रमुख चालक के रूप में स्थापित करना है।पूर्वोत्तर में महिला नेतृत्व" पर पैनल चर्चा महिला नेतृत्व के विविध योगदानों पर प्रकाश डालती है, जो क्षेत्र में आसान और टिकाऊ समुदायों के लिए आधार तैयार करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता प्रदान करती है। चर्चा का उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास में महिलाओं द्वारा निभाई जाने वाली बहुमुखी भूमिकाओं को प्रदर्शित करके, मजबूत और टिकाऊ समुदायों के निर्माण के लिए समावेशी रणनीतियों को प्रेरित करना है।"नॉर्थईस्ट इन एक्शन" विषय के अंतर्गत, "युवा, कार्यबल और भारत की आर्थिक टेपेस्ट्री" पर पैनल चर्चा का उद्देश्य पूर्वोत्तर के युवाओं और कार्यबल द्वारा मेज पर लाए गए सम्मोहक आयामों को उजागर करना है। उनके योगदान, आकांक्षाओं और चुनौतियों की खोज करते हुए, पैनल चर्चा यह विचार व्यक्त करेगी कि यह गतिशील जनसांख्यिकीय भारत की आर्थिक छवि को कैसे महत्वपूर्ण रूप से आकार दे सकता है।(iii) क्रेता-विक्रेता बैठकें: यह महोत्सव महत्वपूर्ण क्रेता-विक्रेता बैठकों के लिए एक अनुकूल मंच प्रदान करेगा, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में मूल्यवान बातचीत को प्रोत्साहन मिलेगा। ये सत्र विशेष रूप से हथकरघा और हस्तशिल्प, कृषि और संबद्ध उत्पादों के साथ-साथ पर्यटन पर केंद्रित होंगे। प्रतिभागी व्यावसायिक अवसरों का पता लगाएंगे और इन प्रमुख क्षेत्रों के भीतर सार्थक संबंध स्थापित करेंगे, जिससे आर्थिक सहयोग और विकास में वृद्धि होगी। प्रमुख पहलों में से एक सालाना 5,000 से 10,000 लोगों को जोड़ने के लक्ष्य के साथ कारीगरों, बुनकरों और उद्यमियों को जोड़ती है। साथ ही, डिजिटल वाणिज्य के लिए ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी) साझेदारी से छोटे व्यवसायों को डिजिटल वाणिज्य की शक्ति हासिल करने में सहायता प्राप्त होगी।(iv) सांस्कृतिक प्रदर्शन: यह महोत्सव पारंपरिक नृत्यों, मनमोहक प्रदर्शनों और क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रदर्शन के माध्यम से एक आकर्षक यात्रा का भी भरोसा प्रदान करता है। दर्शक 14 जनवरी, 2024 को, शाम 5:00 बजे से, असम के सत्रिया नृत्य और त्रिपुरा के होजागिरी नृत्य की सुंदरता का आनंद प्राप्त कर सकते हैं। सांस्कृतिक उत्सव शाम 5:30 बजे से 7:00 बजे तक फैशन शो के साथ जारी रहता है, जिसमें शैली, रचनात्मकता और पूर्वोत्तर सुरुचि की प्रस्तुति की जाती है।
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,  15 जनवरी, 2024 को महोत्सव में मणिपुर की तांगथा फाइट और सिक्किम का शानदार शेर नृत्य प्रदर्शित होगा। 16 जनवरी, 2024 को उत्सव का आरंभ शाम 5:00 बजे होगा, जिसमें मिजोरम का एक बैंड एक घंटे की मनमोहक प्रस्तुति देगा, जिसके बाद मणिपुर के संगीत की भावपूर्ण धुनें सुनाई देंगी। 17 जनवरी, 2024 को भव्य समापन समारोह में अपनी संगीतमय प्रस्तुति में रॉक बैंड बॉटल रॉकेट्स इंडिया के स्टार कलाकार लगभग एक घंटे तक दर्शकों का मनोरंजन करेंगे। इस समापन कार्यक्रम में गायिका और वायलिन वादक सुनीता भुइयां अपनी संगीत प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगी।इन प्रदर्शनों के बीच, महोत्सव में अन्य पारंपरिक नृत्यों का भी प्रदर्शन किया जाएगा, जैसे मेघालय का वांगला नृत्य, नागालैंड का मुंगवंता नृत्य, मिजोरम का बांस नृत्य, असम का बिहू नृत्य और प्रसिद्ध टेटसियो सिस्टर्स और शंकुराज कोंवर का प्रदर्शन।उत्तर पूर्वी महोत्सव का ये पहला संस्करण महज एक सामान्य आयोजन नहीं रह गया है, बल्कि ये पूर्वोत्तर भारत के समृद्ध सांस्कृतिक ताने-बाने के उल्लासपूर्ण उत्सव का प्रतिनिधित्व करता है और इसकी आर्थिक संभावनाओं में गोते लगाता है। यह आयोजन एक अनूठी यात्रा का वादा करता है जहां नवीनता के साथ परंपरा का मेल होता है, और यह एक ऐसे माहौल को बढ़ावा देता है जहां विविधता पनपती है और फलती-फूलती है।उद्घाटन और शिलान्यास:
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,  "उत्तर पूर्वी महोत्सव 2024" के दौरान जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बराक छात्रावास का उद्घाटन किया जाएगा। इस छात्रावास में पूर्वोत्तर क्षेत्र के 400 छात्र रह सकते हैं जो जेएनयू में पढ़ने के इच्छुक हैं। इसके अलावा, नई दिल्ली के द्वारका में एक नॉर्थ ईस्ट कन्वेंशन सेंटर की आधारशिला भी रखी जाएगी। यह कन्वेंशन सेंटर अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाया जाएगा और दिल्ली में पूर्वोत्तर भारत के सांस्कृतिक और सूचना केंद्र के रूप में काम करेगा।

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