पारिवारिक वानिकी रामरुँख अभियान : हरियाली का अनूठा सिलसिला

Ankalan 9/3/2024

बीकानेर ; राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्र के ग्रामीण अंचल में हज़ारों परिवारों ने सामूहिक रूप से एक अनूठे हरित सिलसिले का आगाज़ किया है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस व महाशिवरात्रि के अवसर पर हज़ारों लोगों ने फलदार पौधों को हाथों में लेकर हरित रामदूत बनने की शपथ के साथ इन पौधों को हरित सदस्य के रूप में अपने –अपने घरों में रोपित किया। संयुक्त राष्ट्र द्वारा भूमि संरक्षण के सर्वोच्च पुरस्कार “लैंड फॉर लाइफ” अवॉर्ड से सम्मानित पर्यावरणविद् प्रोफ़ेसर श्यामसुंदर ज्याणी द्वारा आहूत ‘पारिवारिक वानिकी : रामरूँख अभियान’ की अगुवाई महिलाओं ने की तो भागीदार पुरुषों ने सहयोगी की भूमिका निभाते हुए जल-जंगल-ज़मीन के संरक्षण की इस पहल को सतत जारी रखने का संकल्प लिया।
,  सतत विकास की दिशा में जारी प्रयासों को मज़बूती देने हेतु उत्तर से दक्षिण तक पश्चिमी राजस्थान के रेगिस्तानी ज़िलों के भारत पाक सीमा से सटे 500 से अधिक गाँवों में आज लोगों ने इस मुहिम के तहत 11000 से अधिक स्थानीय किस्म के फलदार पोधों का रोपण किया। बीकानेर की श्री डूंगरगढ़ तहसील के रीड़ी गाँव में हज़ारों की तादाद में हरियाली का यह सामूहिक उत्सव मनाया गया जिसमें पुलिस महानिरीक्षक ओमप्रकाश मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस अवसर पर रेंज आईजी ने कहा कि पारिवारिक वानिकी, हरित बदलाव का एक ऐसा सिलसिला है जो आम इंसान को सीधे पर्यावरण संरक्षण में भागीदार बनाता है। बीकानेर रेंज के सभी थानों ने आज पारिवारिक वानिकी के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए महिला सरपंचों की अगुवाई में फलदार पौधों का रोपण करवाया है।
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,  प्रोफ़ेसर ज्याणी ने बताया कि पर्यावरण का संरक्षण सांस्कृतिक चेतना के ज़रिए अधिक बेहतर ढंग से किया जा सकता है। पारिवारिक वानिकी इसी सांस्कृतिक चेतना को पर्यावरण संरक्षण से मज़बूती के साथ जोड़ती है। रामरूँख अभियान के ज़रिए हम देश और दुनिया के अधिकाधिक परिवारों को फलदार पेड़ों से जोड़ेंगे। यह अभियान साल 2030 तक लगातार चलाया जाएगा क्योंकि 2021 से 2030 के दशक को संयुक्त राष्ट्र ने “पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली“ का दशक घोषित किया है। विंसम इंटरनेशनल स्कूल के डायरेक्टर सुरेंद्र धारणिया ने कहा कि पारिवारिक वानिकी रामरूँख अभियान स्कूली विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति की स्वस्थ परंपराओं से जोड़ने में मील का पत्थर साबित होगा। सीए श्रवण गोदारा ने कहा कि यह मुहिम आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है क्योंकि हमारी हवा, पानी, मिट्टी सब ख़राब होती जा रही है। सेंटर फॉर फ़ैमिलियल फॉरेस्ट्री व कम्युनिटी सोशियोलॉजी की को-फाउंडर कविता ज्याणी ने बताया कि सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने हेतु पारिवारिक वानिकी रामरूँख अभियान को जन मुहिम बनाने हेतु सभी को आगे आना होगा। देवजसनाथ वनमंडल अध्यक्ष बहादुर मलसिद्ध, रामरूँख अभियान के ज़िला संयोजक हुक्मा राम झोरड़, सहसंयोजक बीरबल नाथ जाखड़, ब्लॉक संयोजक बजरंग भांभू, पुखराज ज्याणी, सरपंच प्रतिनिधि हेतराम जाखड़, बलरामजाखड़, थानाप्रभारी डूंगरगढ़ इन्द्रकुमार सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोगों ने भागीदारी निभाई।
,  इस अवसर पर सभी ने निम्न शपथ ली
,  हम पारिवारिक वानिकी : रामरूँख अभियान से जुड़कर इन पौधों को अपने परिवार का हरित सदस्य बना रहे हैं और हमेशा इनका ख़्याल रखेंगे। पेड़ों व जीवों की रक्षा करेंगे। ओरण-गोचर आदि सार्वजनिक भूमि पर कब्जा नहीं करेंगे। अपने ओरण- गोचर, धार्मिक स्थलों, शिक्षण संस्थाओं आदि सभी प्रकार की सार्वजनिक भूमि, खेतों में अधिकाधिक पेड़ पनपाएँगे। अपने परिचितों को भी रामरूँख अभियान से जुड़ने हेतु प्रेरित करेंगे। महिलाओं- बेटियों का सम्मान करेंगे उनके साथ दुर्व्यवहार नहीं करेंगे व उनके प्रति कभी अपराध नहीं करेंगे, महिलाओं –बेटियों के साथ दुर्व्यवहार व आपराधिक कृत्यों की रोकथाम हेतु सामाजिक प्रयास करेंगे।
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